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पत्रकार सुरक्षा, पत्रकार मानदेय एवं पेंशन आदि का कानून समूचे देश में लागू हो- श्रीमती पुष्पा पांडेया

रायपुर, छत्तीसगढ़। 28 सितम्बर 2024

📡 “न्यू छत्तीसगढ़ डाॅट काॅम…

परम आदरणीया बड़ी बहन पुष्पा पाण्ड्या अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री धारक होनें के साथ ही भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता में डिप्लोमा धारक भी हैं, उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत सन 1974 में एक अंग्रेजी मासिक पत्रिका प्रेस्ड एंड पब्लिक रिलेशन्स से की।

१९८९ में अपनीं पत्रिका “इंडस्ट्रियल इमेज” का सफल संपादन एवं प्रकाशन सन् १९९० तक किया, इसके बाद उन्होंने अपने पति पत्रकार श्री अविनाश पाण्ड्या के साथ मिलकर कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़नें का काम किया।

उनके पति उस वक्त पी.आई.बी. (प्रेस सूचना ब्यूरो) में मान्यता प्राप्त बड़े पत्रकारों में गिनें जाते थे, उनके साथ पत्र सूचना ब्यूरो (पी.आई.बी.) और संसद की मान्यता प्राप्त डेवलपमेंट न्यूज़ सर्विस जोकि न्यूज़ एजेंसी का कार्य करती थी, की संपादक के रूप में भी कार्य किया, इसके साथ ही बेंगलुरु से प्रकाशित अंग्रेजी साप्ताहिक मैगजीन “एड मैग” में भी उन्होंने सेवा दी।

वर्तमान समय में मीडिया पर चिंतित होकर सोशल मीडिया पर सक्रिय परम आदरणीया श्रीमती पुष्पा पाण्ड्या प्रेस की आजादी एवं आम जनमानस के सामाजिक सुरक्षा की आवाज भी लगातार उठानें का काम करती नजर आ रही हैं।

श्रीमती पुष्पा पाण्ड्या नें सरकार के साथ भी विभिन्न मुद्दों पर मिलकर पत्रकारिता जगत में काम किया है, उन्होंने भारत सरकार की केंद्रीय प्रेस मान्यता समिति एवं डी.ए.वी.पी. पैनल सलाहकार समिति में भी बतौर सदस्य शामिल होनें का गौरव पाया है, उन्होंने अपनें पति के साथ मिलकर 1984 में “इंडियन फेडरेशन आफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स (आई एफ एस एम एन)” की स्थापना की, जोकि यह संगठन आज भी समूचे देश में सक्रिय है, एवं सरकार के सूचना विभाग में पत्रकारों के हित में लगातार दखल देकर पत्रकारों के न्याय की आवाज उठानें का काम कर रहा है।

श्रीमती पुष्पा पाण्ड्या नें 1987 में अपनें अध्यक्ष कार्यकाल में पत्रकारों का विश्व सम्मेलन का प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व भी भारत की ओर से किया था, जहां उन्होंने हेलसिंकी (फिनलैंड) में शिरकत किया, जिसके बाद वहां से प्रतिनिधिमण्डल के साथ स्वीडन स्थित बोफोर्स फैक्ट्री का भी दौरा किया।

इतना ही नहीं श्रीमती पुष्पा पाण्ड्या के अध्यक्ष कार्यकाल में ही तत्कालीन अनुभवी सांसद स्वर्गीय सुषमा स्वराज नें राज्यसभा में आई.एफ.एस.एम.एन. अध्यक्ष यानी पुष्पा पाण्ड्या का नाम इंगित करते हुए प्रेस की आजादी पर हमला विषय पर आवाज उठाई, जिसके बाद श्रीमती पुष्पा पाण्ड्या की मेहनत रंग लाई व इन्हीं के प्रयास से प्रेस एवं प्रेस रजिस्ट्रेशन नियम में बदलाव लाया गया, जिसके बाद नए कानून स्वरूप जिला मजिस्ट्रेट को प्रेस स्थापना व पंजीकरण का किसी भी समय एवं कहीं भी मान्यता संबंधित कार्य का अधिकार दिया गया, उन्होंने भारत सरकार एवं संसदीय समितियों में शामिल होनें के पहले भी आई.एफ.एस.एम.एन. के बैनर तले कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, उन्होंने भारतीय प्रेस परिषद को उस वक्त दिल्ली हाई कोर्ट में खड़ा किया था जब प्रेस परिषद पारदर्शिता के साथ काम नहीं कर रहा था, इतना ही नहीं उस वक्त प्रेस परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष न्यायमूर्ति सरकारिया जिनका ग्रेस पीरियड यानी छूट अवधि भी समाप्त हो चुका था, फिर भी हटनें का नाम नहीं ले रहे थे, जिस पर श्रीमती पुष्पा पाण्ड्या की पहल पर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सारे रिकार्ड खंगालनें की बात कही गई व न्याय किया गया, इसका भी श्रेय आपको ही जाता है।

वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी एवं सोशल मीडिया के दौर में वह “एनएमसी (NMC) – न्यूज़ मीडिया महासंघ” के बैनर तले देश भर के स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं निर्भीक पत्रकारों को इकट्ठा कर पत्रकार हित के साथ ही सामाजिक हित पर सरकार के विरुद्ध आवाज उठाकर न्याय दिलानें के लिए कार्यरत हैं, उनका उद्देश्य पत्रकार सुरक्षा, पत्रकार मानदेय एवं पेंशन आदि का कानून समूचे देश में लागू हो एवं आम जनमानस को मुफ्त चिकित्सा, मुफ्त शिक्षा जैसी तमाम सेवाएं भी प्रदान कराई जाएं।

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