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साल जंगल के भीतर अवैध कटाई के दौरान इलेवन के.वी. विद्युत प्रवाहित तार पर गिरा पेड़, आपूर्ति घण्टों बाधित

कटघोरा/कोरबा, छत्तीसगढ़। सोना बारमते, 02 अप्रैल 2024

✒️✒️…वन विभाग की उदासीनता से लकड़ी तस्करों के हौसले बुलंद, हरे-भरे पेड़ो की अंधाधुंध की जा रही कटाई…


कटघोरा वनमंडल अंतर्गत पाली वन परिक्षेत्र के जंगलों में कीमती इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई जमकर की जा रही है, निष्क्रिय वन परिक्षेत्र अधिकारी एवं वनकर्मियों के निठल्ले पन का लाभ उठाकर इन दिनों वन तस्कर कीमती लकड़ी की बेधडक कटाई कर रहे है।

ऐसे ही एक जंगल में अवैध कटाई के दौरान इलेवन के.वी. विद्युत प्रवाहित तार पर पेड़ जा गिरा, जिससे अनेक ग्रामों की बिजली सेवा घण्टों बाधित रही, विद्युत कर्मचारी सुधार कार्य को लेकर काफी मशक्कत करते दिखे लेकिन सूचना के कई घण्टे बाद भी पाली वन परिक्षेत्र का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी मौके पर नहीं पहुँचा।

पाली वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय अंतर्गत आसपास के घनें साल, सागौन जंगलों में वन माफिया काफी सक्रिय हैं, जो पैसों की लालच में कीमती हरे-भरे पेड़ों की बेरहमी से कटाई कर रहे हैं।

इसके अतिरिक्त जंगल में कई औषधीययुक्त कीमती पेड़ भी हैं, उसे भी वन माफिया नहीं छोड़ रहे, हरियाली लिए वनों से आच्छादित पाली रेंज के जंगलों में कई ऐसे पेड़-पौधे हैं, जो कई बीमारियों के लिए संजीवनी का कार्य करते हैं, किन्तु वन माफिया इमारती पेड़ों के साथ-साथ औषधीय पेड़ों को भी नहीं बख्श रहे है।

परिक्षेत्र अधिकारी एवं वन कर्मचारी उन माफियाओं के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई कर पानें में नाकाम साबित हो रहे है, ऐसे ही नानपुलाली-पाली सर्किल के मुनगाडीह बीट अंतर्गत नानपुलाली के साल जंगल के भीतर वन माफिया द्वारा अवैध कटाई के दौरान इलेवन के.वी. विद्युत प्रवाहित गुजरे तार पर भारी-भरकम साल का पेड़ जा गिरा, इस दौरान अवैध कटाई को अंजाम दे रहे लोग तो मौके से भाग गए लेकिन विद्युत तार के टूटनें से नानपुलाली, पुलालीकला, पोड़ी सहित दर्जन भर से अधिक ग्रामों में बिजली सेवा घण्टों बाधित रही।

विद्युत कर्मचारी मौके पर पहुँच कर सुधार की दिशा में काफी मशक्कत करते दिखे किन्तु सूचना के बाद भी पाली परिक्षेत्र का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी समाचार लिखे जानें तक पेड़ कटाई स्थल पर नहीं पहुँचा था, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाली वन परिक्षेत्र में बैठे नौकरशाह अपनें दायित्वों के निर्वहन में कितनी गंभीरता दिखाते है, हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई से जहां क्षेत्र में पर्यावरण संकट बढ़ रहा है तो वन माफियाओं द्वारा कीमती पेड़ों की कटाई कर जंगलों को वृक्षविहीन बनानें का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है।

ऐसे में प्रकृति से हरियाली घटती जा रही है और वन विभाग की लापरवाही के कारण दिनों-दिन जंगलों का उजाड होता चला जा रहा है, एक ओर इमारती पेड़ों की अवैध कटाई कर वन माफिया औनें-पौनें दामों पर बेचकर मालामाल हो रहे है, तो दूसरी ओर जिम्मेदारों की निष्क्रियता के कारण प्रकृति से हरियाली घटती दिखाई दे रही है।

वृक्षारोपण के नाम पर सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है, वहीं वृक्षारोपण के साथ-साथ उसकी सुरक्षा का जिम्मा भी विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के ऊपर तय रहती है, ताकि पर्यावरण में अनुकूलता बनें रहनें के साथ पेड़ों को सुरक्षित रखा जा सके, इसके विपरीत विभाग की लापरवाही और अनदेखी की वजह से जंगलों का उजाड़ होनें के परिणाम स्वरूप मौसम में लागातार परिवर्तन देखा जा रहा है।

इसका जिम्मेदार, आखिर कौन…?

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