मुंगेली, छत्तीसगढ़। 20 मई 2024 सोना बारमते
✒️…स्व. श्री अनिल चंद्राकर की स्मृति में पंडित सागर मिश्रा नें भगवान श्री राम और केवट के संवाद का किया सुंदर व्याख्यान…
कबीरधाम जिला के ग्राम मथानी खुर्द में स्वर्गीय श्री अनिल चंद्राकर की स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय श्री राम कथा के पहले दिन पांडातराई वाले पंडित सागर मिश्रा नें भगवान श्री राम और केवट के संवाद का सुंदर व्याख्यान किया।
उन्होंने बताया कि प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास के दौरान उन्हें गंगा नदी पार करनी थी, गंगा नदी के तट पर प्रभु श्री राम की मुलाकात केवट से हुई, श्री राम नें केवट से नाव मांगी, लेकिन केवट नें शर्त रखी कि नाव में चढ़नें से पहले आपके चरण पखारनें दें, उसके बाद ही मैं आपको गंगा नदी से पार करूंगा, प्रभु श्री राम नें केवट की शर्त मान ली, और उन्हें चरण धोनें दिए, लक्ष्मण नें केवट को जल्दी पैर धोनें का आग्रह किया, इस पर केवट नें कहा कि प्रभु मैं पैर धोनें नहीं पखारनें के लिए अनुमति लिया हूं, पैर धोनें का मतलब पैर में पानी डाल देना, लेकिन पखारना का अर्थ है कि अपनें पूरे परिवार के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना कर चरण के अमृत का पूरे परिवारजन के साथ पान करना है।
लक्ष्मण नें केवट से कहा आपको जो भी करना है भाई, जल्दी करों।
फिर केवट नें अपनें पूरे परिवारजन को बुलाकर भगवान श्री राम का चरण पखारा और अपनें सात पीढ़ी को इस भवसागर से तार दिया, अर्थात सात पीढ़ी को जन्म मरण से मुक्त करा लिया।
जब प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी केवट की नाव से उतरे तो प्रभु श्री राम के पास केवट को देनें के लिए कुछ नहीं था, तो माता सीता नें अपनी अंगूठी केवट को उतारकर दी, लेकिन केवट में यह कहकर मना कर दिया कि जब भगवान श्री राम वनवास से वापस लौटेंगे तब वे इस भेट को ग्रहण करेंगे।
✒️…लंका से वापस आते समय भगवान श्री राम नें केवट से पुनः मुलाकात की...
जब भगवान श्री राम लंका से वापस हो रहे थे तो प्रयागराज में विमान को उतरवाकर पुनः केवट से मुलाकात की
, केवट ने विमान को अप
नें ओर आते देखकर कई कल्पना करना शुरू कर दिया
, कहीं यह
विमान तो यहां नहीं उतर रही है, कहीं इसमें भगवान श्री राम तो नहीं बैठे है, जब विमान का गेट खुला तो
यह सोचना शुरू कर दिया कि कहीं भगवान श्री राम तो नहीं उतर रहे हैं
, जब भगवान श्री राम को गेट से उतरते देखा तो केवट के खुशी का ठिकाना नहीं रहा
, भगवान श्री राम और केवट
नें एक भी
क्षण की देरी नहीं की और दौड़कर वे एक दूसरे को गले से लगा लिया।
भगवान श्री राम
नें केवट को अप
नें बालों की छटा से इस तरह से ढक लिया कि केवटराज अदृश्य हो गए और अप
नें मूल रूप में वापस होकर अप
नें धाम को चले गए।
बता दें
कि भगवान राम को गंगा पार क
रवानें वाले केवट पूर्वजन्म में कछुआ थे
, ऐसी मान्याता है कि जब धरती जलमग्न थी, तब केवट का जन्म एक कछुए के रूप में हुआ था
, केवट
नें कछुए के रूप में कई वर्षों तक तप किया
, भगवान
नें उनके तप को देखते हुए उन्हें केवट
का अवतार दिया।
✒️…विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद श्री राम कथा की हुई शुरुआत…
कुंडा वाले बृजेश शर्मा
नें विधि
–विधान से पूजा अर्चना कर भगवान श्री राम कथा की शुरुआत
की।
इसके बाद पंडित सागर मिश्रा
नें भगवान श्री राम और केवट के संवाद पर सुंदर प्रकाश डाला
, उन्होंने भगवान श्री राम और केवट के संवाद के माध्यम से वार्षिक श्राद्ध में कथा के महत्व को बताया।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार केवट
नें भगवान श्री राम के पैर पखारकर अप
नें पूरे सात पीढ़ी को भवसागर से तार लिया, उसी प्रकार वार्षिक श्राद्ध में भगवत कथा करा
नें से पूरे परिवारजन का कल्याण होता है।
कथा के दौरान पूरे परिवारजन, रिश्तेदार और ग्रामीणजन
माैजूद रहे।