बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़। 22 मई 2024 राघवेन्द्र सिंह
पूर्व में शराब तस्करी के मामलों में हो सकता है कि बलौदाबाजार जिला शीर्ष स्थान पर रही हो लेकिन अब नकली और अवैध शराब बिक्री का भी अड्ढ़ा बनता दिखाई पड़ रहा है, हालत यह है कि जिले के थाना क्षेत्रों में जमकर शराब तस्करी हो रही है, क्षेत्र के छोटे-मोटे ढाबों एवं रेस्टोरेंटों पर खुलेआम नकली एवं अवैध शराब बिक्री का कारोबार चरम पर है, इसके बावजूद इस ओर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
हालांकि बीते महीनें मे पुलिस एवं आबकारी विभाग की ओर से अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाईयां की गई हैं, लेकिन यह कार्रवाईयां छोटे स्तर पर ही सीमित होकर रह गई हैं, पुलिस एवं आबकारी विभाग के हाथ बड़े शराब तस्कर एवं नकली अवैध शराब बेचनें वालों तक नहीं पहुंच रहे हैं, इससे शराब का बड़े पैमानें पर खेल थमनें का नाम नहीं ले रहा है।
✒️…प्रतिबंधित शराब की खेप हर दिन…
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जिले में प्रतिबंधित नकली स्प्रिट से निर्मित शराब देशी मशाला एवं प्लेन शराब की खेपें दिनों दिन बलौदाबाजार भाटापारा पहुंचती हैं, फिर यहां से सम्पूर्ण जिले के विभिन्न क्षेत्रों को सप्लाई की जाती हैं, जिसका जिला प्रवेश से लेकर अवैध कोचिंयो तक सुरक्षित पहुंचानें का पूरा जिम्मा थानों मे पदस्थ कुछ पुलिसकर्मियों का है, यहाँ कई बार मध्यप्रदेश की खेपें भी बरामद हुई हैं, लेकिन इनकी जांचें पुलिस एवं आबकारी विभाग की फाईलों में ही दफन होकर रह गई हैं, जबकि इस तरह के प्रकरणों की भरमार है।
नकली शराब की पुष्ठि हाल ही में सुहेला, सिटी कोतवाली, करहीबाजार चौकी, लवन थाना, गिधपुरी थाना, पलारी थाना आदि क्षेत्रों में देखनें को मिल रही है, नकली शराब के खपत प्रतिदिन करीब 200 पेटी है, जिसका बाजार मूल्य लगभग 15 लाख रूपए मानी जा रही है, एक छोटा आकड़ा लगाए तो एक सप्ताह मे करीब 01करोड़ की अवैध व्यापार महज 05-06 थाना क्षेत्रों मे हो रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार औपचारिकता स्वरुप किए गए कुछ कार्रवाईयों में नकली शराब को भट्टी के वैध शराब घोषित कर कार्यवाही को खानापूर्ति करते हुए शून्य कर दी जाती है।
✒️…केमिकल के इस्तेमाल से बनाए जा रहे हैं नकली शराब…
सूत्रानुसार नकली शराब का जखीरा बिलासपुर से आनें की खबर है, जहाँ से हूबहू असली ब्रांड जैसी शक्ल देकर जिले के कई थाना क्षेत्रों में इनकी सप्लाई कर रहे है और कई गुना अधिक मुनाफा कमाकर शराब का रैकेट चला रहे है, वे शराब की खाली बोतलों को साफ करके उन पर ओरिजिनल लेबल की कॉपी लगाई जा रही है जो कि देखनें में बिल्कुल असली लगती है, इसके बाद इनमें नकली शराब भरक़र बड़ी मात्रा में खुलेआम सप्लाई की जा रही है।
✒️…आबकारी विभाग तस्करी रोकनें में फिसड्डी…
आबकारी विभाग शराब तस्करी रोकनें में नाकाम साबित हुआ है, इस साल उनके पास कोई ऐसी बड़ी कामयाबी नहीं है, जिसे उपलब्धि के तौर पर गिना सके, कच्ची शराब के विरुद्ध चलाई गई अभियान भी खानापूर्ति तक सिमट गई।
✒️…क्या कहते हैं नकली शराब को लेकर स्वास्थ्य अमला…
वरिष्ठ फिजीशियन बताते है कि जहरीली शराब पीनें से मौत हो जाती है या व्यक्ति अंधा हो जाता है, जब जहरीली शराब शरीर में जाती है, इसके अंदर मौजूद एल्किल ग्रुप एल्डिहाइड में बदल जाता है और इससे शरीर के अंदर एक फार्मेल्डिहाइड या फार्मिक एसिड बनता है, जो कि सीधा दिमाग पर असर करता है, यह बहुत अधिक नुकसानदेह होता है।
✒️…लोग करते रहते हैं शिकायतें…
नकली शराब मिलनें की शिकायत कोई नई बात नहीं है, लोग इस तरह की शिकायतें करते रहे हैं कि जिले में नकली शराब धड़ल्ले से बिक रही है, लेकिन आज तक इस मामले में ना तो कभी गंभीरता से कोई जांच हुई है और ना ही कार्रवाई के लिए ठोस कदम उठाए गए, जिला प्रशासन द्वारा इस पर किसी तरह की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं होनें से लोग भ्रमवश नकली शराब का सेवन क़र अपनी जिंदगी दाव पर लगा रहें है।
✒️…उड़ती खबर…
हिंदी के एक प्रसिद्ध कहावत जो इस मामले मे सटीक बैठता है और यह लाइन शराब कोचिंयो के संरक्षण कर्ताओं के लिए चरितार्थ करता प्रतीत होता नजर आ रहा है- “सईया भए कोतवाल, तो डर काहे का… यह कहावत पुलिस विभाग का नकली शराब तस्करों के साथ साठगांठ को दर्शाती है, जिसका प्रमाण के रूप में शराब कोचियों के एक साथी द्वारा नाम सार्वजनिक नहीं करनें के शर्त पर बताया गया कि नकली शराब ऐसे ही नहीं चल रही है, इसे चलानें के लिए क़ानून के लम्बे हाथ का पूरा पूरा एवं बैलगाड़ी के पहिए की तरह बराबर समांतर सहयोग होती है, जिसके लिए बराबर राशि थानों मे दी जाती है, तथा साइबर थाना सहित छह थानों मे 06 लाख रूपए अपनी अपनी हिस्सेदारी बाट ली जाती है, इन सब थानों मे कैश कलेक्शन के लिए एक पुलिस कर्मी को अघोषित सुपरवाइज़र नियुक्त किया गया है जो दाम के हिसाब से नकली शराब को पायलेटिंग कर अंजाम देते है।
खैर इसकी पुष्टि हमारे समाचार पत्र द्वारा नही किया जा रहा है, अगर ऐसी कुछ बात हो तो जांच का विषय होना चाहिए।
पूर्व में भी इस प्रकार के मामलों के खबर प्रकाशन को संज्ञान मे लेते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दीपक झा द्वारा बड़े स्तर में पलारी थाना के नेतृत्व में 27 पेटी नकली शराब पर कार्यवाही कर कोचियों के कमर तोड़नें का काम किया गया था।
अब देखनें वाली बात होगी कि क्या अब पुलिस प्रशासन द्वारा बड़ी कार्यवाही करते हुए लोगों के स्वास्थ्य और सरकार के राजस्व क्षति को किस प्रकार से पूरा करती है।