बिलासपुर, छत्तीसगढ़। रेशमा लहरे। 27 जुलाई 2024
बिलासपुर के साइंस कॉलेज मैदान में चल रही श्री शिव महापुराण के तृतीय दिवस में कथा की क्रम को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज लोग कथा सुनते हैं, लेकिन कथा जैसे ही पूरी हो जाती है और घर पहुंचते ही लोग सब कुछ भूल कर फिर से अपनें कामों में व्यस्त हो जाते हैं, लेकिन यदि आप चाहते हैं कि कथा से आप का कल्याण हो और कथा आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें तो कथा सुननें के साथ-साथ कथा को मनन करते हुए अपनें ह्रदय में धारण करें और जो कथा में बताया गया है, उसका हम अनुसरण करें और अपनें जीवन में उस चीज को लाएं, तभी कथा हमारा कल्याण करेगी और कथा से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होगी, बापूजी नें आगे कहा कि आजकल दूसरे धर्म के लोग हमारे भगवान के प्रति हमारे ही बच्चों को जो भ्रमित कर रहे हैं कि तुम्हारे भगवान ऐसा है और हमारे भगवान के विषय में गलत गलत बातें करके उनको भ्रमित करते हैं, इसमें सबसे बड़ी गलती आजकल मां-बाप की है, मां-बाप अपनें बच्चों को प्रारंभ से ही धर्म की शिक्षा नहीं देते हैं, अच्छे से अच्छी पढ़ाई कराना तो चाहते हैं लेकिन धर्म की शिक्षा से वंचित रखते हैं, इसका दूसरे धर्म के लोग फायदा उठाते हैं और दूसरे धर्म के लोग हमारे बच्चों को गलत-गलत बातें सिखा कर उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैं, और उनको अपने धर्म में ले जाकर उनका गलत शोषण करते हैं, और तब हम बाद में दुखी होते हैं, इसीलिए आज के समय में हर मां-बाप को चाहिए कि अपने बच्चों में धर्म की शिक्षा दें अपने भगवान के बारे में उनको बताएं उनको कथा में लेकर आए जिससे कि उनको सनातन धर्म के विषय में जानकारी हो और वह समझ सके कि सनातन धर्म सबसे बड़ा धर्म है और अन्य धर्मों की लालच भरी बातों में ना आकर अपने धर्म को ही वह आगे बढ़ाएं।
बापू नें कहा कि केरला में जिस प्रकार से 30,000 हिंदू बेटियों का धर्म परिवर्तन करा कर और उनका शोषण किया गया, इससे भारत का संत समाज बहुत नाराज है और इस व्यासपीठ से मैं भी प्रत्येक मां-बाप से कहूंगा कि अपनें बच्चों को कथा में लेकर आएं और उनको धर्म की शिक्षा दें, ताकि ऐसा कृत्य दूसरे धर्म के लोग दोबारा ना कर पाए कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होनें कहा कि शिवलिंग का जो स्वरूप है, वह निराकार ब्रह्म का ज्योति स्वरूप ही शिवलिंग है, हमारे धर्म में जो ग्रंथ है जो वेद है जो पुराण हैं उप निषद हैं वह सभी हमारे लिए एक सहीं मार्ग और जीवन को कैसे जीना है इसका ढंग बताते हैं, यदि हमें अपनें जीवन को गलत व्यसन से बचाना है और समस्त प्रकार की समस्याओं से निकालना है तो ग्रंथों का आश्रय अवश्य करें।
बापू जी नें कहा कि आज के लोग जो ग्रंथों से दूरियां बना रहे हैं इसीलिए उनका जीवन तनावयुक्त है, और उनको समस्या का समाधान प्राप्त नहीं हो रहा है, इसलिए सभी लोग वेदों का उपनिषद का और ग्रंथों का पुराणों का आश्रय करें, इसी में सबकी भलाई है,
आज कथा में मुख्य अतिथि के रुप में अमोलक सिंह भाटिया, चंद्रचूड़ त्रिपाठी, मनोज तिवारी, स्वप्निल शुक्ला, अभिनव तिवारी, कन्हैया सिंह ठाकुर, अजय सिंह, रामनारायण राठौर, गजेंद्र सिंह परमार, नरेंद्र यादव, भरत सिंह ठाकुर तथा मुख्य यजमान मंगलूराम राठौर-श्रीमती धन बाई राठौर उपस्थित रहे।