आज़मगढ़, उत्तरप्रदेश। 09 अगस्त 2024
ब्यूरो रिपोर्ट ए.के. सिंह हरिशंकर
शहर कांग्रेस कमेटी, आज़मगढ़ द्वारा गुलामी का पूरा स्थित कार्यालय पर आज मोहम्मद नजम शमीम की अध्यक्षता में 09 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, 1857 के विद्रोह के बाद भारत में राष्ट्रीयता का उदय होनें लगा था, 1885 में कांग्रेस की स्थापना के साथ इसे एक संगठित रूप देनें का प्रयास शुरू किया गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से वापस आनें के बाद कांग्रेस आम जनता की कांग्रेस बननें की तरफ अग्रसर हुई, देश में गांधी युग की शुरुआत हुई, समाज के हर वर्ग को एक-जुट करके स्वतंत्रता की लड़ाई को आगे बढ़ानें का कार्य गांधी जी के द्वारा किया गया, गांधी जी द्वारा तीन राष्ट्रीय आंदोलन किए गए, जसमें पहला असहयोग आंदोलन था जिसमें सरकार के साथ सहयोग नहीं करना था, जब देशवासियों के अंदर संघर्ष की क्षमता और अधिक विकसित हुई तब गांधी जी नें सविनय अवज्ञा आंदोलन का नारा दिया इसमें सरकार का सहयोग न करनें के साथ-साथ कानून को तोड़नें को भी कहा गया, नमक कानून को तोड़कर गांधी जी नें इस आंदोलन की शुरुआत की भारत में राष्ट्रीयता जब हर वर्ग में चरम पर पहुंच गई, तब महात्मा गांधी जी अंग्रेजों को आदेश देते हैं कि वह भारत छोड़ दें, भारत छोड़ो आंदोलन अंतिम आंदोलन था, उसके बाद अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ा 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नेहरू जी नें भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पेश किया था, सरदार पटेल जी नें भी उस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
नजम शमीम नें कहा कि भारत छोड़ो के ख़िलाफ़ सावरकर के नेतृत्व में हिंदू महासभा नें खुलेआम दमनकारी अंग्रेज़ शासकों की मदद की घोषणा की थी, आज उन्हीं के अनुयायी देश की सत्ता पर काबिज होकर देश का सत्यानाश कर रहें है, और अपनें आपको सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त होनें का दंभ भरते हैं।
शहर महासचिव रेयाज़ुल हसन नें कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जेल में डालनें के बाद जनता सड़कों पर उतर गई और पूरे देश में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होनें लगे।
मिर्ज़ा शान आलम बेग नें कहा कि अगस्त क्रांति भारत की आज़ादी की लड़ाई के इतिहास में एक महत्वपूर्ण निर्णायक जनसंघर्ष की गौरवशाली दास्तां का दूसरा नाम है, इसके पश्चात कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों नें सिविल लाइन स्थित महात्मा गांधी जी की मूर्ति पर माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलवी अब्दुल हक़ मोहल्ला कोट के आश्रित अनवर मुजतबा और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महमूद ख़ान बाज़बहादुर के आश्रित मोहम्मद आकिल खान को उनके आवास पर जाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मोहम्मद नजम शमीम, मिर्ज़ा शान आलम बेग, रेयाजुल हसन, गोविंद शर्मा, मनतराज यादव, मोहम्मद अफजल, बालचंद राम, शादाब, शारिक, असलम, नसर, पंकज, मोहम्मद अफ़सार, अनवर मुजतबा, आरिफ मुजतबा, अहमद सुल्तान, कोमल प्रजापति, समीर अहमद, मुशीर अहमद आदि लोग उपस्थित रहे।