रायगढ़, छत्तीसगढ़। 21 फरवरी 2024
कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ के निकरा परियोजना के प्रभाव से टमाटर की खेती छोड़ चुके किसानों में आशा की किरण दिखनें लगी है, इस परियोजना अंतर्गत गोद ग्राम जुनवानी में सोलेनेसी कुल के सभी फसलों जैसे टमाटर, बैगन आदि पौधों में वर्ष भर सडऩें-गलनें एवं उकठा रोग से पौधे की नष्ट होनें की समस्या विगत कुछ वर्षो से विकराल रूप धारण कर ली थी, जिससे किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होता था, फलस्वरूप इस भयंकर समस्या से परेशान होकर किसान अपनें फसल पद्धति में टमाटर की खेती छोड़ दिए थे, जिसके निदान हेतु कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ के निकरा परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. राजपूत के मार्गदर्शन एवं केंद्र के वैज्ञानिकों जिसमें परियोजना के सह अन्वेषक और मृदा वैज्ञानिक के.डी. महंत, उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ.बंजारा, पौध रोग वैज्ञानिक मनोज साहू के विशेष प्रयास से किसानों के खेत में भ्रमण के दौरान गहन परीक्षण कर समस्या के निदान हेतु कड़ी मेहनत व प्रयास से पता लगाया गया कि सब्जी की खेती के लिए विशेष पहचान बना चुकी जुनवानी ग्राम में रेतीली, लाल, बलुई मिटटी उपलब्ध है तथा बार-बार एवं वर्ष भर एक ही फसल लेनें के कारण मृदा जनित उकठा रोग (जीवाणु एवं फफूंद जनित) का काफी ज्यादा प्रकोप बढ़ जाता है, इस समस्या के प्रबंधन हेतु केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा उकठा रोग के प्रतिरोधक एवं उन्नत किस्म अर्का सम्राट की खेती का विशेष प्रशिक्षण एवं 13 किसानों के खेत में सफलतापूर्वक जीवंत प्रदर्शन किया गया, जिससे ग्राम के किसान टमाटर की सफल खेती से अतिरिक्त आमदनी भी कमा रहें है।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राजपूत नें टमाटर की उन्नत किस्म की तकनीकी खेती और आवश्यक सावधानी के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं यह किस्म उकठा बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक होती है।
केंद्र के मृदा वैज्ञानिक के.डी. महंत नें खेत की तैयारी व उर्वरक प्रबंधन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. बंजारा नें टमाटर की खेती, नर्सरी प्रबंधन, पौधों एवं कतार की दूरी के बारे में विशेष जानकारी दी।
केंद्र के पौध रोग वैज्ञानिक मनोज साहू नें उकठा रोग प्रबंधन के साथ-साथ ट्राइकोडर्मा द्वारा मृदा उपचार का जीवंत प्रदर्शन किया गया।
इस परियोजना के माध्यम से जिला के किसानों को सलाह दी जाती है कि टमाटर फसल में उकठा रोग के रोकथाम हेतु समन्वित रोग प्रबंधन तकनीक को अपनाते हुए सफलता पूर्वक खेती किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम की सफलता में केंद्र के सभी वैज्ञानिकों एवं ग्राम के प्रगतिशील किसान रतन यादव, अश्वनी मालाकार, नरेन्द्र मालाकार, होश राम मालाकर, हीरालाल मालाकार, ननकी राम साहू, आत्मा राम मैत्री, मोहन मालाकार, गोलबदन मालाकार, हरी यादव एवं अन्य किसान उपस्थित रहे।