📡 दर्जनभर लोगों नें कहा- कभी भी पहुंच जाती है, पचास साठ हजार ऐंठ लेती है…
बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़। 04 नवम्बर 2024
✒️✒️ राघवेन्द्र सिंह…
जिले मे झोलाछाप डाक्टरों की मनमानी व लापरवाही पूर्वक इलाज को लेकर लगातार खबर प्रकाशित हो रही है, किन्तु जिम्मेदार अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगा है।
कार्रवाई नहीं होनें के पीछे झोलाछाप डाक्टरों के संगठन को प्राप्त राजनीतिक संरक्षण व समय-समय पर जिम्मेदारों के जेब गरम करना बताया जा रहा है।
बता दें कि विगत 21 अक्टूबर दिन सोमवार को रायपुर रोड स्थित नवनिर्मित बिल्डिंग में झोलाछाप डाक्टरों का आपातकालीन बैठक संपन्न हुआ था, जिसमें झोलाछाप डाक्टरों पर होते-होते कार्रवाई रुकनें का श्रेय संगठन के पदाधिकारीयों नें लिया था तथा दिवाली से पूर्व अधिकारियों कों पान-फूल स्वरुप नजाराना भेट करनें पर सहमती बनीं थी, जो कि सूत्रों के बताए अनुसार उक्त कमीशन जिम्मेदारों तक पंहुचा दिया गया है।
चुंकि उक्त बैठक लगभग चार घंटे चली जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा ड्रग इंस्पेक्टर के ऊपर हुआ, मेडिकल की आड़ मे क्लिनिक संचालित कर रहे झोलाछाप डाक्टरों नें एक-एक करके ड्रग निरीक्षक के पैसा वसूल कार्रवाई के शिकार होनें की बातें बताई एवं मोटी कमीशन देनें की बात कही।
स्पष्ट है जिले में स्वास्थ्य विभाग व ड्रग विभाग खुलेआम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ क़र कमीशन खोरी का खेल खेल रहे है किन्तु ना तो जिम्मेदार अनुविभागीय अधिकारि और ना ही जिला कलेक्टर इस पर अंकुश लगा पा रहे है।
संगठन के अध्यक्ष अपनें वक्तव्य के दौरान कहा कि हमें पूर्व विधायक का पूरा सहयोग मिला था और अभी भी हमें केबिनेट मंत्री का भरपूर सहयोग मिल रहा है, हमें किसी अधिकारी और कोई पत्रकारों के खबरों से डरनें की कोई जरुरत नहीं है, खबर से कुछ नहीं होगा हम अधिकारियों को पान-फूल का सहयोग करते हैं, हमें किसी से डरनें की कोई जरुरत नहीं होगा अगर कोई अधिकारी कार्यवाही करेगा तो मंत्री से अधिकारी को फ़ोन लगवा देंगे।
इस प्रकार के तमाम बातें कहकर अपनें गैर पंजीकृत ग्रामीण चिकित्सक संघ के सदस्यों का हौसला बढ़ाया।
📡 जो संगठन से जुड़ा है उससे वसूलती है कम पैसा…
ग्रामीण क्षेत्र में प्रैक्टिस कर रहे चिकित्सकों का कल्याण संघ के उक्त बैठक में दर्जनों लोगों नें एक-एक करके अपनी आप बीती बताई कि वह अकेली आती है और कुछ ना कुछ नियमों का हवाला देकर मोटी रकम वसूल करती है, किसी नें 60 हजार रूपए देनें की बात कही तो किसी नें 40 हजार रूपए तो किसी नें 30 हजार रूपए देनें की बात कही।
वहीं संगठन के अध्यक्ष नें बताया है कि जिन सदस्यों नें कार्रवाई के दौरान हमें तत्काल सूचना दिया उसे मुश्किल से 10 हजार रूपए ही देना पड़ा, जिस बात की दो-तीन पीड़ित डाक्टरों नें पुष्टि भी किया।
अध्यक्ष नें कहा कि हमारे द्वारा एक मेडिकल स्टोर्स से भी ज्यादा दवाई सन्धारण करके रखा जाता है, इसलिए ऐसी कार्रवाई हो रही है, अतः सभी लोग मेरा संपर्क नंबर रखो और जैसे ही औषधि निरीक्षक द्वारा कार्रवाई की जाती है तो मुझे फौरन सूचित करें, ताकि कम कीमत में मामला सुलझ जाए और आप लोगों कों अधिक व्यय भार ना पड़े।
झोलाछाप डाक्टरों के उक्त बैठक में ड्रग निरीक्षक के सम्बन्ध में ऐसे-ऐसे बातें कही गई कि जिन बातों का खबर मे उल्लेख कर पाना संभव नहीं है।
खैर स्पष्ट है कि जिले के स्वास्थ्य विभाग व औषधि विभाग कों जनस्वास्थ्य से कोई लेना-देना नहीं है, वे केवल अपनी जेबें भरनें में लगे है।
📡 दूसरों के लायसेंस पर किराया देकर संचालित हो रहे कई मेडिकल स्टोर्स...
ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट के ही संचालित हो रहे हैं, ड्रग विभाग को इसकी भनक है लेकिन कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
बैठक में संगठन के अध्यक्ष खुले तौर पर बोल रहे हैं कि उनकी स्वयं की बेटी के लाइसेंस को उन्होंने अर्जुनी व पनगांव में किराए पर दे रखा है तथा स्वयं अपनें गांव में भी मेडिकल खोलकर बैठा है और उसी मेडिकल की आड़ में अपना क्लीनिक संचालित कर रहा है।
इस तरह बिना फार्मासिस्ट तथा जरूरी दस्तावेजों के बिना ही मेडिकल दुकान का व्यवसाय किया जा रहा है तथा वहां अपात्र व्यक्ति बैठकर दुकान चला रहा है, जिनको दवाइयां तक की जानकारी नहीं है।
इन मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ ना तो ड्रग इंस्पेक्टर कोई कार्रवाई कर रहा है और ना ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी।
नियमों को ताक में रखकर दूसरे के लाइसेंस को मासिक या सालाना किराया मे लेकर चला रहे मेडिकल स्टोर्स व उसकी संचालक तथा वैध लायसेंस धारी की जानकारी भली-भांति ड्रग विभाग को है तथा इसकी एवज में उन्हें तगड़ी कमीशन की प्राप्ति हो रही है।
📡 कुछ मेडिकल स्टोर्स चिन्हाँकित, जहाँ फार्मासिस्ट छोड़ते है पैसा…
प्रत्येक 15 किलोमीटर की दायरे में एक मेडिकल स्टोर्स को कलेक्शन सेंटर के रूप में ड्रग विभाग द्वारा चिन्हांकित किया गया है जहां पर सभी फार्मासिस्ट अपना नजराना छोड़ते है फिर ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा उस मेडिकल स्टोर्स में कलेक्शन हुए सभी रूपए उठा लिया जाता है।
इस तरह जिम्मेदार अपनें कर्तव्य को भूलकर खुलेआम पैसा वसूली में लगे हुए है, किन्तु जिला प्रसाशन के उच्च अधिकारी अपनी आँखों में पट्टी बांधकर बैठे हुए है।
📡 बलौदाबाजार में अब तक झोलाछाप डाक्टरों पर कार्रवाई…
अनाप-शनाप इलाज कर मोटी रकम वसूलनें व गलत इलाज से स्थिति गंभीर होनें पर नीजी अस्पतालों में भेजकर कमीशन खानें वाले झोलाछाप डाक्टरों पर बलौदाबाजार में किसी तरह की कार्रवाई नहीं होना क्षेत्र में लम्बे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है।
झोलाछाप डाक्टरों के बैठक में अध्यक्ष महोदय नें बताया कि हम पदाधिकारियों द्वारा लगातार हफ्ते भर क्षेत्र के बड़े नेता व अधिकारी कर्मचारियों से मुलाक़ात करते रहे हैं, और उसी के बदौलत ही बलौदाबाजार क्षेत्र कार्रवाई से बचा हुआ है और आगे भी बचा रहेगा।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले वर्ष भी बहुत से ग्रामीण चिकित्सक साथियों को नोटिस दिया गया था, जिस पर हमनें भाटापारा के बड़े नेता के शरण में गए जहाँ उन्होंने स्वयं जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को बुलाकर डांट फटकार लगाई तथा उसी वजह से किसी भी चिकित्सक साथियों को आज तक नोटिस का जवाब देनें की नौबत नहीं आई।
यह 2008 से संचालित हमारे संगठन की शक्ति है इसलिए सभी ज्यादा से ज्यादा संगठन में जुड़ें और आगामी बैठक करमदा गांव में आयोजित होगी, जहां पर नए सदस्य एक हजार रूपए सदस्यता शुल्क के साथ संगठन से जुड़कर विभागीय कार्रवाई से बचें।
📡 राज्योत्सव में आनें वाले हैं स्वास्थ्य मंत्री, तमाम मसलों पर होगा बड़ा सवाल…
छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल बलौदाबाजार पहुंचनें वाले है, जहां पर मिडिया कर्मियों द्वारा जिले में लचर स्वास्थ्य विभाग व अवैध रूप से संचालित क्लिनिक, पैथोलैब, डायग्नोस्टिक सेंटर की सूची दी जाएगी, साथ ही झोलाछाप डाक्टरों की गुप्त बैठक की विडियो फुटेज, कॉल रिकॉडिंग इत्यादि कों सौंपकर कमीशन खोर अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनें की बातें रखी जाएगी।
वहीं इस विभाग से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की जानकारी लेनें जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से स्वास्थ्य में लापरवाही गड़बड़ी व अन्य सम्बन्ध पर जानकारी ली जाती है तब सी.एच.एम.ओ. द्वारा कभी भी विभाग की गलती नहीं माना जाता है व वकील की तरह से अपनीं बात को इतनी सफाई से रखते है की मानों कुछ हुआ ही नहीं।
आम जनताओं द्वारा मौखिक एवं लिखित कईयों शिकायत हो चुकी किन्तु आज पर्यंत किसी भी लापरवाह के खिलाफ कुछ कार्यवाही नहीं हुआ है, जिले के कई प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों की शिकायत हो गई है, किन्तु कोई कार्यवाही नहीं, बल्कि उनके द्वारा कहा जाता है कि छोटी सी शिकायत के लिए मैं अपना सम्बन्ध क्यों खराब करूं।
जिले मे कई शिकायतें हैं जैसे कि निजी अस्पताल में आयुष्मान इलाज, जिला अस्पताल रेफर सेंटर बन जाना, कमीशन के चक्कर में कर्मचारियों द्वारा नामजद निजी अस्पताल मे गर्भवतियों तथा अन्य मरीजों को भेजना, इलाज के दौरान डॉक्टर एवं अन्य कर्मचारियों की लापरवाही।
केवल जांच के नाम पर खानापूर्ति कर जांच की फाइल बंद कर दी जाती है, सी.एच.एम.ओ. बताएं कि किस डॉक्टर पर कार्रवाई किए हैं…? सी.एच.एम.ओ. बताएं कि कर्मचारियों द्वारा मरीजों से दुर्व्यवहार हुआ है, किस-किस पर कार्यवाही किए हैं…? सी.एच.एम.ओ. बताएं कि जिले के निजी अस्पतालों में कितनें सीजर ऑपरेशन के आंकड़े हैं, सार्वजनिक करे।
जिले में प्रसव मृत्युदर कितनी है…? जिले के जिला अस्पताल में चिकित्सक कितनें हैं और जिला अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक के निजी अस्पताल क्लिनिक कितनें है…?
जिला अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ड्यूटी रोस्टर क्यों सार्वजनिक नहीं होता है…?
जिला अस्पताल में डॉक्टरों का बर्थडे सेलिब्रेशन तक मनाया जाता है, जबकि कर्मचारियों के भरोसे जिला अस्पताल छोड़ दिया जाता है, ऐसे तमाम कई सवाल है जो स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े करते हैं वहीं ब्लॉक के बी.एम.ओ. की कार्यवाही का जवाब भी “अपनी डफली अपनी राग” के कहावतों पर आधारित है।