बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़। 08 नवम्बर 2024
✒️✒️ राघवेन्द्र सिंह…
जिले में खनिज विभाग की लापरवाही और दबंगों की दादागिरी के कारण रेत का अवैध परिवहन रुकनें का नाम नहीं ले रहा है।
ताज़ा मामला भाटापारा के खपराडीह गांव के पास का है, जहां रेत से भरी एक ओवरलोड हाईवा ट्रक बिना रॉयल्टी पर्ची के खड़ी मिली, पत्रकारों नें जब मौके पर पहुंचकर स्थिति की जानकारी लेनी चाही तो गाड़ी के ड्राइवर के पास किसी प्रकार की रॉयल्टी पर्ची नहीं पाई गई।
📡 खनिज विभाग से संपर्क असफल, पुलिस को दी गई सूचना…
पत्रकारों नें स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खनिज विभाग को फोन कर मामले की सूचना देने का प्रयास किया, लेकिन विभाग के किसी भी अधिकारी नें फोन नहीं उठाया, इसके बाद भाटापारा ग्रामीण थाना प्रभारी को घटना के बारे में सूचित किया गया, थाना प्रभारी नें तत्काल कार्रवाई करते हुए दो पुलिसकर्मियों को मौके पर भेजा, लेकिन पुलिसकर्मियों के सामनें ही कुछ दबंगों नें दादागिरी दिखाते हुए पत्रकारों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और वीडियो बनाते हुए ट्रक को जबरदस्ती ले गए।
📡 पुलिस की चुप्पी और दबंगों की दादागिरी…
गंभीर बात यह है कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों नें इस दबंगई पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप मूकदर्शक बनें रहे, दबंगों की बेखौफ हरकतें, शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए खुलेआम अवैध रेत का परिवहन करते हुए नजर आई, और उन्होंनें पत्रकारों को धमकी दी कि “जो करना है कर लो, हमारी गाड़ी ऐसे ही रोज निकला करेगी” यह सब पुलिसकर्मियों के सामनें ही हुआ, लेकिन उन्होंनें हस्तक्षेप करनें के बजाय स्थिति को अनदेखा कर दिया।
📡 खनिज विभाग पर उठे सवाल…
जिले में अवैध खनन की घटनाएं आम हो गई है और खनिज विभाग की निष्क्रियता पर अब सवाल भी उठनें लगे हैं, खनिज विभाग का केवल कागजों में कार्रवाई करना और जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम ना उठाना, ऐसे मामलों को और भी बढ़ावा दे रहा है।
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध खनन से कई जगहों पर बड़े गड्ढे हो चुके हैं, जहां से मुरूम निकाली जा चुकी है।
खनिज विभाग की इस प्रकार की कार्यप्रणाली से सवाल उठता है कि क्या खनिज विभाग अवैध खनन के मामलों में केवल खानापूर्ति कर रहा है…?
📡 पत्रकारिता पर भी दबाव…
इस घटना से साफ है कि पत्रकारों के लिए निष्पक्ष रूप से रिपोर्टिंग करना चुनौतीपूर्ण हो गया है, दबंगों की बढ़ती हुई दबंगई और खनिज विभाग की अनदेखी के कारण पत्रकार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इस तरह की घटनाएं ना केवल पत्रकारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि कानून और प्रशासनिक प्रणाली पर विश्वास बनाए रखना हर नागरिक का अधिकार है।
📡 सवाल जो प्रशासन से है…
अब सवाल उठता है कि क्या जिला प्रशासन दबंगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा या ऐसे ही आंखें मूंदे बैठेगा…?
क्या खनिज विभाग अवैध खनन और परिवहन को लेकर ठोस कदम उठाएगा…?
या उपरोक्त मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा…?
प्रशासन और पुलिस की इस निष्क्रियता के कारण जिले में कानून व्यवस्था को लेकर लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।
ऐसे में जिला प्रशासन और खनिज विभाग को इस मामले पर सख्त कदम उठानें की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो और अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।
पत्रकारों को निष्पक्ष और सुरक्षित तरीके से अपनें कार्यों का निर्वहन करनें का माहौल मिलना चाहिए, जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है।