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आत्मा एक है शरीर अलग-अलग है- संत लाल सांई

बिलासपुर, छत्तीसगढ़। 07 मार्च 2024

श्री सिंधु अमर धाम आश्रम, श्री झूलेलाल मंदिर श्री झुलेलाल नगर के संत लाल सांई एवं साउथ अफ्रीका की मशहूर सिंगर निशा शिवदासानी के द्वारा रामा वैली बिलासपुर में भजन कीर्तन सत्संग का कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल, बाबा गुरमुख दास, दादा साधु वासवानी, दादा जे.पी. वासवानी के तैलचित्र पर पुष्प अर्पण कर, पूज्य बहाराणा साहब की अखण्ड ज्योत प्रजवलित करके की गई।

कार्यक्रम संध्या 06:00 बजे आरंभ हुआ और रात्रि 10:00 बजे समापन हुआ, कार्यक्रम में साउथ अफ्रीका की मशहूर सिंगर निशा शिवदासानी के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्री गणेश जी की आराधना से की गई, उन्होंने बताया कि वह साउथ अफ्रीका में रहती है पर उसका दिल भारत में रहता है और भारत में भी जो शहर है वह पुणे है, स्थान दादा साधु वासवानी सेंटर में, उन्होंने कहा कि जब से दादा के दर्शन हुए, दादा का सत्संग सुना तो वह दादा की हो गई अब यह तन मन और आत्मा सब दादा के चरणों में अर्पण हैं आज जो भी कुछ है वह दादा के कारण है, उन्होंने अपनी मधुर आवाज में कई भक्ति भरे हिंदी तथा सिंधी गीतों की शानदार प्रस्तुति दी, जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे, साधु वासवानी सेंटर बिलासपुर की प्रमुख सपना कलवानी एवं अन्य सदस्यों के द्वारा निशा जी का फूलों की माला पहनकार स्वागत व सत्कार भी किया गया।

अब वह घड़ी आ गई जिस घड़ी का सबको इंतजार था, मेरी झोपड़ी में तो आज सांई आ गए और मेरे भाग खुल गए, जैसे ही सांई जी का आगमन हुआ उनका स्वागत आतिशबाजी और फूलों की वर्षा के साथ किया गया, सांई जी का आगमन रात्रि 08:00 बजे हुआ, पूज्य सिंधी पंचायत रामा वैली के द्वारा संत लाल सांई जी का फूलों की माला पहनाकर और पुष्प गुछ देकर स्वागत सत्कार किया गया।

इस अवसर पर रवि रुपवानी के द्वारा कई भक्ति भरे भजनों की प्रस्तुति दी गई, संतलाल सांई जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में सत्संग की वर्षा की, उन्होंने फरमाया कि जैसे ही वह निशा जी का भजन सुना, उनकी मधुर आवाज में जो भजन था दिल को छू गया और उन्होंने देखा कि वह भजन जो लिखी थी डायरी में वह सिंधी अरबी में लिखा हुआ था तथा कुछ शब्द हिंदी के थे, यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई कि सात समुंदर पार रहनें के बाद भी वह अपनी संस्कृति अपनी भाषा से कितनी जुड़ी हुई है और हम सिंधी अरबी लिखना तो दूर की बात है हमें तो पढ़ना भी नहीं आता, हम पूरी सिंधी भाषा को बोल भी नहीं सकते हिंदी मिक्स बोलते हैं, किसी भी समाज की पहचान उसकी बोली, भाषा, संस्कृति से होती है, घर में जैसा आप बातचीत करोगे वैसा ही बच्चे सुनते हैं और बात करते हैं, इसलिए घर में जितना ज्यादा हो सके सिंधी भाषा में बात करें और खास कर के बच्चों के सामनें और बच्चों से भी सिंधी भाषा में बात करें, अभी से जब आप ऐसा करेंगे तभी बच्चे बड़े होकर अपनीं भाषा में बात करेंगे और समझेंगे, इसलिए इस बात का ध्यान जरूर रखें।

यह शरीर भले ही औरत, मर्द, जीव, जंतु, जानवर सबके अलग-अलग है पर आत्मा एक होती है जो अंदर में ज्योत है वह एक होती है उसमें कोई अंतर नहीं होता है जेसे हमनें कपड़े अलग-अलग पहनें हैं पर शरीर तो एक है, हम सब मर्दों का शरीर एक है, औरतों का एक है, बस कपड़े अलग-अलग है इस तरह आत्मा एक होती है और वह अलग-अलग शरीरों में कपड़े के समान उसे पहनती है, जब किसी इंसान का स्वर्गवास हो जाता है तो वह शरीर खाली यही रह जाता है आत्मा तो निकल जाती है वह दूसरे शरीर धारण करती है अगर आप अच्छे कर्म कीए हो अच्छा कार्य किया हो तो आपको 84 लाख योनियों में घूमनें की जरूरत नहीं पड़ेगी आपका अगला जन्म तुरंत ही मानव जन्म में हो जाएगा या आपको मोक्ष प्राप्ति होगी यह सब आपके कर्मों पर निर्भर करता है कि भगवान नें जो आपको 84 लाख योनियों के बाद मानव जीवन दिया है आप उसका सदुपयोग कितना करते हैं
आज के समय में किस तरह भाई-भाई वह अन्य लोग चंद रुपयों के लिए, चंद फिट जमीन के लिए लड़ाई झगड़ा करते हैं, एक दूसरे को मार देते हैं और जो चीज हमारी है नहीं उसके लिए हम क्यों लड़ाई कर रहे हैं आज हम यहां सत्संग कर रहे हैं क्या यह पहले जमीन ऐसी थी नहीं पहले यहां खेती-बड़ी होती थी किसान की जमीन थी फिर इसे बिल्डर नें खरीदा तथा कॉलोनी बनाई, कल यह किसी दूसरा कोई आदमी खरीद लेगा परसों कोई ओर ले लेगा तो जो चीज हमारी है ही नहीं उसके लिए हम क्यों लड़ाई झगड़ा कर रहे हैं क्यों मारामारी कर रहे हैं जो है उसमें खुश, संतुष्ट रहें,
क्या लेकर आए हैं क्या लेकर जाएंगे भगवान नें इतना सुंदर मानव जीवन
दिया है उसे यूं ही बर्बाद ना करें
धन दौलत जरूर कमाए दुकान मकान जरूर बनाएं बच्चों को जरूर पढ़ाये लिखाएं पर सध कर्म करते रहें धर्म के कार्य करते रहे सत्य की राह पर चलते रहें झूठ फरेब, धोखा,न करें
शराब मांस मदिरा इन सब चीजों से दूर रहे यह चीज इंसान की बुद्धि को भ्रष्ट कर देती है और फिर इंसान गलत रहा पर चल पड़ता है जिसका नतीजा अंत बुराई होता है सांई जी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाए
उसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे, कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई, पल्लव पाया गया, प्रसाद वितरण किया गया, आए हुए सभी भक्तजनों के लिए प्रभु का प्रसाद आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्त जनों नें भंडारा ग्रहण किया, कलवानी फैमिली के द्वारा सांई जी का स्वागत किया गया तथा पूज्य बहाराणा साहब को ढोल बाजे के साथ तालाब लेकर पहुंचे विधि विधान के साथ बहराणा साहब का विसर्जन किया गया वह अखण्ड ज्योत को तराया गया।

आज के इस भव्य सुंदर सत्संग का आयोजन डॉ. रमेश कलवानी, सपना कलवानी के द्वारा किया गया और इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनानें में राजेश कलवानी, रौनक, अभिषेक, नानक पंजवानी, राजू चौधरी, चित्रा पंजवानी, सिमी भक्तानी तथा कई अन्य लोगों का विशेष सहयोग रहा।

भवदीय
विजय दुसेजा

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